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बड़हरा प्रखंड के उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय गुंडी में शिक्षक अभिभावक संगोष्ठी का हुआ आयोजन

संवाददाता: अंकुर आदित्य

आरा : बड़हरा प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय गुंडी में शिक्षक अभिभावक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वर्ग 5 की शिक्षिका राधिका कुमारी,वर्ग 4 की शिक्षिका रूबी कुमारी एवं वर्ग 3 की शिक्षक दीपक कुमार मौजूद रहे। उन्होंने अभिभावक से बात करते हुए वर्तमान माहौल में नवाचारी शिक्षा के लिए शिक्षक और अभिभावकों को मिलकर कैसे काम करना है इसके विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा किया, प्रधानाध्यापक मो.खुर्शीद आलम ने बताया कि एक शिक्षक साधारण नहीं होता वह हथियारों के  बिना युद्ध जीता सकता  है परिवर्तन की लहर ला सकता है विद्यार्थियों के जीवन  को एक दिशा दे सकता है पूरे देश का भविष्य तय करता है अगर आप शिक्षक है तो खुद पर गर्व करें कि ईश्वर ने अपने बनाए अनगिनत इंसानों के जीवन में प्रकाश भरने के लिए आप को चुना है।

शिक्षक बेहतर सोच समझ के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाहन द्ढ़  इच्छा शक्ति के साथ करें: मो. खुर्शीद आलम ( प्रख्यात शिक्षा शास्त्री एवं लेखक)


आज विद्यालय में गणितीय विकास पर इस संगोष्ठी का विषय केंद्रित था जिस पर प्रकाश डालते हुए शिक्षाविद मोहम्मद खुर्शीद आलम ने बताया कि यहां कैसे बच्चों के बचपन को सवारते हुए आनंद पूर्वक माहौल में नवाचारी शिक्षण पद्धति को अपनाया जाता है ।विद्यार्थियों को गणितीय करण करने का मुख्य उद्देश्य उसका अमूर्तन कराना है, यह तभी संभव होगा जब बच्चों को बेहतर वातावरण किताबों की बाहरी दुनिया से जोड़ते हुए दिया जाए।

गणितीय अवधारणा को विकसित करने के लिए बच्चों को दिनचर्या से जोड़ना होगा वह अपनी समझ का जब तक अधिक से अधिक अंतरक्रिया समाजिक संस्कृति संदर्भ में नहीं करेंगे तब तक उनका अधिगम अर्जन नहीं हो सकता।

वर्तमान में बिहार सरकार  का लगातार प्रयास शिक्षा बिना बोझ के पाठ्यचर्या को सही तरीके से धरातल पर उतारना है।.छात्रों को बेहतर पर्यावरण में लगातार इसका का इसका  स्कैफफोल्डिंग ( मदद निर्माण) कराते हुए शिक्षकों को समाजिक संस्कृति संदर्भ में अंतरक्रिया कराना होगा।
प्रधानाध्यापक आलम ने बताया कि शिक्षा कोई भौतिक वस्तु नहीं है जिसे शिक्षक या डाक के जरिए ही पहुंचा भर दिया जा सके, उर्वर और उर्जादायी शिक्षा की जड़े हमेशा ही बच्चे की भौतिक और सांस्कृतिक जमीन में गहरे रूप से बैठी होती है, और उन्हें माता पिता शिक्षकों सहपाठियों और समुदाय के साथ पारस्परिक क्रियाओं से पोषण मिलता है। सामाजिक सांस्कृतिक एवं भाषायी उपलब्धियों का सबसे बड़ा केंद्र विद्यालय होता है।

स्कूली गणित का दर्शन पर बात करते हुए श्री आलम ने कहा कि बच्चे गणित से भयभीत होने के बजाय उसका आनंद उठाएं।. इससे जुड़ी अंक ज्ञान संख्या से जुड़े क्षमताएं सांख्यिकी संक्रियाएं रोजमर्रा और दिनचर्या साधनों से जोड़ते हुए गणित के लक्ष्यों की प्राप्ति करें ताकि वह गणितीय ढंग से सोच सकें और तर्क कर सके, मान्यताओं के तार्किक परिणाम निकाल सके और अमूर्त को समझ सके इसके अंतर्गत चीजों को करने और समस्याओं  का सूत्रबद्ध करने और उनका हल ढूंढने की क्षमता का विकास करना आता है गणित माध्यमिक स्कूल तक  एक अनिवार्य विषय है अतः अच्छी गणित शिक्षा का अधिकार सभी बच्चों को है यह शिक्षा आनंददायक और सहज होना चाहिए अगर ऐसा होता है तो बच्चों में सृजनात्मकता आएगी और ज्ञान का अर्जन हो सकेगा बहुत से बच्चे गणित से डरते हैं और इस विषय में असफल होने से डरते हैं

अतः बच्चों में गणितीय समझ का विकास बातचीत के जरिए खोज और अन्वेषण को विकसित करना होगा वर्तमान शिक्षा नीति 2020 एवं एनसीएफ-2005 इस बात पर जोर देती है कि बच्चों को किताबी दुनिया से अलग कर बाहर की दुनिया से जोड़ा जाए उनको मातृभाषा में पढ़ाया जाए इससे बच्चों को समझ का चस्का लगेगा और सीखने के लिए आगे बढ़ेंगे इसके लिए शिक्षक को संवेदनशील बनना होगा और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अपने शिक्षक धर्म को अपनाना होगा।

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