नीतीश और नायडू इस बार सरकार में किंग मेकर की भूमिका में है। आज हम खंगालने जा रहे हैं इन दोनों की कुंडली। आखिर इन दोनों की कुंडली में ऐसे कौन से योग हैं जो इन्हें किंग मेकर बनाते हैं। हालांकि दोनों के बारे में कहा जाता है कि अपनी-अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए ये लोग इतनी जोड़-तोड़ कर रहे हैं। आइए देखते हैं इनकी कुंडली का खास विश्लेषण।
अभी हाल ही में 4 जून को आए आश्चर्यजनक चुनाव नतीजों के बाद देश में 10 वर्ष के बाद एक बार फिर से गठबंधन की राजनीति का दौर वापस लौटकर आ गया है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में अपने बल पर पूर्ण बहुमत हासिल कर रही बीजेपी इस बार 272 के जादुई आकड़े से कुछ दूर रह कर 240 सीट ही प्राप्त कर पाई। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में आंध्र प्रदेश के क्षत्रप चंद्रबाबू नायडू की तेलगुदेशम पार्टी ने 16 सीट जीती और उसकी साथी जनसेना पार्टी ने 2 सीट इसी सूबे में हासिल की हैं। इन 18 सीटों के बल पर चंद्रबाबू नायडू इस समय भाजपा के सबसे बड़े सहयोगी बनकर उभरे हैं। इससे पहले वह वाजपेयी सरकार के समय में भी एनडीए में थे किन्तु 2002 के गुजरात दंगों के बाद विरोध स्वरूप वह भाजपा का साथ छोड़ कर चलते गए थे। इसी तरह वर्ष 2018 में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी नरेंद्र मोदी की सरकार वाले एनडीए गठबंधन को आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्ज़ा न देने के कारण नाराज़ होकर छोड़ कर चल दिए थे। इसी प्रकार नीतीश कुमार भी 2013 से कई बार भाजपा का साथ छोड़ कर विरोधी खेमे में जा मिले हैं। अब ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह देखना दिलचस्प होगा की नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की कुंडलियों में ऐसे क्या राजयोग हैं जो कि इस बार उनको केंद्र सरकार में ‘किंग मेकर’ की भूमिका में ले आए हैं।
शनि और शुक्र के राजयोग ने नीतीश कुमार को वापस दी खोई लोकप्रियता
नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को दोपहर एक बजकर बीस मिनट पर बख्तियारपुर में हुआ था। राहु भाग्य भाव में गुरु, बुध और सूर्य के साथ एक शानदार राजयोग का निर्माण कर रहा है। राहु का राजयोग में सम्मलित होना उन्हें गठबंधन की राजनीति का एक मंझा हुआ खिलाड़ी बनाता है जो कि अपने विरोधियों को कभी भी अपने राजनीतिक चातुर्य से चौंकने पर विवश कर देते हैं। वर्ष 2013 से नीतीश कुमार कई बार पाला बदलकर कभी लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल तो कभी बीजेपी की तरफ अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने के लिए आते-जाते रहे हैं। इस बार जनवरी 2024 में चुनावों से ठीक तीन महीने पूर्व जब वह एक बार फिर से लालू यादव और कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी से हाथ मिलाकर प्रदेश में सरकार बनाए तो उनकी लोकप्रियता में कमी आने लगी। किन्तु नीतीश कुमार की कुंडली में दशम भाव में बैठे उच्च राशि मीन के पंचमेश (मंत्री पद) शुक्र का सिंहासन के चतुर्थ स्थान पर बैठे शनि से बन रहा बड़ा राजयोग उनको एक बार फिर से केंद्र की राजनीति में वापिस ले आया। राहु में शुक्र में मंगल की विंशोत्तरी दशा में नीतीश कुमार की पार्टी JDU ने 16 लोक सभा सीटों पर लड़कर 12 सीट जीत लीं। किन्तु शनि और शुक्र के राजयोग में छठे (विवाद और रोग) स्थान के स्वामी मंगल का होगा नीतीश कुमार को मानसिक स्वस्थ से सम्बंधित रोग और कुछ गलत राजनीतिक निर्णयों के कारण अगले वर्ष अप्रैल के बाद मुश्किल में ला सकता है
बुध की मजबूत दशा ने चंद्रबाबू नायडू को करवाई सत्ता में वापसी20 अप्रैल 1950 को सुबह के समय आंध्र प्रदेश के चित्तूर में जन्मे चंद्रबाबू नायडू की मेष लग्न की कुंडली में सप्तमेश (पत्नी स्थान) शुक्र लाभ के एकादश भाव में नवमेश (भाग्य) गुरु के साथ एक अच्छा राजयोग निर्मित कर रहा है। शुक्र और गुरु की इस शुभ युति का मंत्री पद के पंचम भाव में बैठे दशमेश (राज सत्ता) शनि से भी एक अच्छा योग निर्मित हो रहा है। इस बड़े राजयोग के बल पर चंद्रबाबू नायडू ने एक बार फिर से आंध्रप्रदेश विधानसभा में अपनी तेलगुदेशम पार्टी को पूर्ण बहुमत से जीतने के साथ-साथ लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में 16 सीट हासिल कर केंद्र की राजनीति में भी अपनी ‘धमक’ के बार फिर से साबित कर दी है। वर्तमान में बुध की विंशोत्तरी दशा चंद्रबाबू नायडू की मेष लग्न की कुंडली में चल रही है जो कि मेष लग्न की उनकी कुंडली में लग्न में सूर्य के साथ विराजमान हो कर उनकी पार्टी को महत्वपूर्ण मंत्रालय देता दिख रहा है। किन्तु बुध चंद्रबाबू नायडू की कुंडली में विवाद के छठे और रोग स्थान का स्वामी है तो आगे चलकर यह दशा उनको अगले वर्ष में BJP से मतभेद के साथ-साथ स्वास्थ्य सम्बन्धी कुछ कठिनाई भी दे सकती है