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अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में हुआ चौकाने वाला दावा ,देश में हो रही है प्रदूषित हवा से हर साल 464 मौते

Air Pollution Report Today: अमेरिकी शोध संस्थान ‘हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट’ की हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि भारतीय शहरों में प्रदूषित हवा के कारण हर दिन 5 साल से कम उम्र के 464 बच्चों की मौत हो रही है। इस संकट में खतरनाक प्रदूषक पीएम 2.5 का बड़ा योगदान है।

नई दिल्ली: भारत के शहरों में घुली दूषित हवा कितनी खतरनाक है, इसकी बानगी है हाल में आई एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर रोज औसतन 5 साल से कम उम्र के 464 बच्चों की मौत प्रदूषित हवा के कारण होती है। यह रिपोर्ट अमेरिका की एक शोध संस्था ‘हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट’ (HEI) द्वारा तैयार की गई है। इस रिपोर्ट का नाम ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SOGA) 2024’ है। पूरे भारत में, सभी एज ग्रुप्स को मिलाकर, सिर्फ 2021 में ही प्रदूषित हवा के कारण लगभग 21 लाख लोगों की मौत हो गई। यह रिपोर्ट बताती है कि अब प्रदूषित हवा मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन चुका है, जो हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) के बाद दूसरे नंबर पर आता है। तम्बाकू और मधुमेह से भी ज्यादा खतरनाक अब प्रदूषित हवा साबित हो रही है।

दुनियाभर में 8 करोड़ लोगों की मौत का कारण गंदी हवा
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में पूरी दुनिया में 8.1 करोड़ लोगों की मौत प्रदूषित हवा से होने वाली बीमारियों की वजह से हुई। चौंकाने वाली बात यह है कि इन मौतों में से हर चौथी मौत भारत में हुई। उसी साल भारत में 2.1 करोड़ और चीन में 2.3 करोड़ लोगों की मौत प्रदूषित हवा के कारण हुई। यानी दुनिया भर में इस जहरीली हवा से होने वाली मौतों का 55% हिस्सा सिर्फ इन दो देशों में हुआ।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में गैर-संक्रामक बीमारियों (जैसे दिल की बीमारी, फेफड़ों का कैंसर, मधुमेह, लकवा) के बढ़ने का एक बड़ा कारण यह हवा है। शोधकर्ता पल्लवी पंत के अनुसार, 2021 में भारत में हृदय रोग से होने वाली 40% मौतें, फेफड़ों के कैंसर से 33% मौतें, टाइप 2 मधुमेह से 20% मौतें, लकवे से 41% मौतें और सीओपीडी (फेफड़ों की बीमारी) से होने वाली 70% मौतें प्रदूषित हवा से जुड़ी थीं।

सबसे ज्यादा खतरनाक प्रदूषक है PM2.5, जो हवा में मौजूद बहुत छोटे कण हैं। दुनिया भर में प्रदूषित हवा से होने वाली 10 में से 6 मौतों के लिए PM2.5 जिम्मेदार है। इसके अलावा घरों के अंदर की प्रदूषित हवा और ओजोन गैस भी मौतों का कारण बनती हैं, हालांकि इनका प्रतिशत कम है (क्रमशः 38% और 6%)।

 

 

रिस्क तो है


बच्चों के लिए साइन ऑफ डेंजर
“स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SOGA)” रिपोर्ट, पहली बार यूनिसेफ के साथ मिलकर बनाई गई है। यह इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि प्रदूषित हवा की वजह से लाखों लोगों को सांस लेने में तकलीफ देने वाली बीमारियां हो जाती हैं। इन बीमारियों के इलाज पर बहुत खर्च आता है, जिससे अस्पतालों, अर्थव्यवस्था और पूरे समाज पर बोझ पड़ता है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘पांच साल से कम उम्र के बच्चे प्रदूषित हवा के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। इससे उन्हें समय से पहले जन्म लेना पड़ सकता है, उनका वजन कम हो सकता है, दमा और फेफड़ों की बीमारियां हो सकती हैं।’ साल 2021 में प्रदूषित हवा के कारण दुनिया भर में 5 साल से कम उम्र के 7 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई। गौर करने वाली बात ये है कि कुपोषण के बाद, प्रदूषित हवा इस उम्र के बच्चों के लिए मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन चुकी है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि छोटे बच्चों में प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से उन्हें निमोनिया (फेफड़ों में संक्रमण) जैसी बीमारी हो सकती है। दुनिया भर में हर पांच में से एक बच्चे की मौत निमोनिया से होती है। इसके अलावा प्रदूषित हवा बड़े बच्चों में दमा का भी कारण बनती है, जो सांस लेने संबंधी सबसे आम बीमारी है। एक सरकारी स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि हालांकि, सरकारी नियमों के अनुसार प्रदूषित हवा से होने वाली बीमारियों की आधिकारिक तौर पर सूचना नहीं दी जाती है

बच्चों के लिए साइन ऑफ डेंजर
“स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SOGA)” रिपोर्ट, पहली बार यूनिसेफ के साथ मिलकर बनाई गई है। यह इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि प्रदूषित हवा की वजह से लाखों लोगों को सांस लेने में तकलीफ देने वाली बीमारियां हो जाती हैं। इन बीमारियों के इलाज पर बहुत खर्च आता है, जिससे अस्पतालों, अर्थव्यवस्था और पूरे समाज पर बोझ पड़ता है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘पांच साल से कम उम्र के बच्चे प्रदूषित हवा के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। इससे उन्हें समय से पहले जन्म लेना पड़ सकता है, उनका वजन कम हो सकता है, दमा और फेफड़ों की बीमारियां हो सकती हैं।’ साल 2021 में प्रदूषित हवा के कारण दुनिया भर में 5 साल से कम उम्र के 7 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई। गौर करने वाली बात ये है कि कुपोषण के बाद, प्रदूषित हवा इस उम्र के बच्चों के लिए मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन चुकी है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि छोटे बच्चों में प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से उन्हें निमोनिया (फेफड़ों में संक्रमण) जैसी बीमारी हो सकती है। दुनिया भर में हर पांच में से एक बच्चे की मौत निमोनिया से होती है। इसके अलावा प्रदूषित हवा बड़े बच्चों में दमा का भी कारण बनती है, जो सांस लेने संबंधी सबसे आम बीमारी है। एक सरकारी स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि हालांकि, सरकारी नियमों के अनुसार प्रदूषित हवा से होने वाली बीमारियों की आधिकारिक तौर पर सूचना नहीं दी जाती है।

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