इसरो ने अपने तीसरे रीयूजेबल लॉन्च वीइकल (लेक्स-03) को सफलतापूर्वक उतारकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। अब तक अमेरिका ऐसा करने वाला इकलौता देश था, लेकिन इसरो ने अंतरिक्ष विज्ञान में यह बड़ी उपलब्धि हासिल कर हम भारतीयों का सीना गर्व से भर दिया है।
नई दिल्ली: इसरो ने रविवार को तीसरे रीयूजेबल लॉन्च वीइकल की लैंडिंग (लेक्स-03) में सफलता पाकर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल कर लिया। इससे अंतरिक्ष वाहन के कक्षा में दोबारा प्रवेश के परीक्षण का मार्ग प्रशस्त हो गया। यह वाहन अब तक प्रयोगों के लिए इस्तेमाल किए गए वाहन के आकार का छह गुना होगा। इस मिशन ने अधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में लॉन्च वीइकल की ऑटोनोमस लैंडिंग कैपिबलिटी का प्रदर्शन किया। यह अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि का द्योतक है। कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में आयोजित LEX-03 मिशन ने अंतरिक्ष से लौटने वाले वाहन के लिए उच्च गति वाली लैंडिंग स्थितियों और दृष्टिकोण इंटरफेस का अनुकरण किया। इस मिशन से भविष्य के ऑर्बिटल रीएंट्री मिशनों के लिए महत्वपूर्ण एडवांस्ड गाइडेंस एल्गोरिदम को मान्यता मिल गई। मिशन में इनर्शियल सेंसरों, रेडार अल्टीमीटर, फ्लश एयर डेटा सिस्टम, स्यूडोलाइट सिस्टम और नाविक सहित मल्टिसेंसर फ्यूजन टेक्नॉलजी का उपयोग किया गया।
अमेरिका के बाद भारत के नाम ही यह सफलता
मिशन को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के नेतृत्व में सफलता मिली, लेकिन लेक्स-03 को इसरो के विभिन्न केंद्रों, भारतीय वायु सेना, कई एयरोस्पेस अनुसंधान संस्थानों और औद्योगिक भागीदारों का सहयोग शामिल था। इसरो की इस ऐतिहासिक सफलता के लिए मिशन डायरेक्टर जे. मुथुपंडियन और वीइकल डायरेक्टर बी कार्तिक को योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वहीं, वीएसएससी के एडवांस्ड टेक्नॉलजी और सिस्टम प्रोग्राम के प्रोग्राम डायरेक्ट सुनील पी ने किया। मिशन डायरेक्टर जे मुथुपंडियन आरएलवी के प्रॉजेक्ट डायरेक्टर भी थे। वहीं, वीइकल डायरेक्टर बी कार्तिक इसके डिप्टी प्रॉजेक्ट डायरेक्टर थे। इन सबके प्रयासों ने स्पेस रिसर्च और टेक्नॉलजी डेवलपमेंट के क्षेत्र में इसरो की प्रतिष्ठा आसमान छू गई।