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एलजीवी .के सक्सेना ने की डीडीएमए की बैठक की अध्यक्षता .नालों की सफाई के साथ अतिक्रमण हटाने का भी दिया सख्त निर्देश .

एलजी वी.के. सक्सेना ने डीडीएमए की बैठक में दिल्ली में जलभराव के बाद बाढ़ नियंत्रण तैयारियों की समीक्षा की, जिसमें मुंडका नहर और बवाना में आई बाढ़ पर ध्यान केंद्रित किया गया। सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग को 15 जून तक नालों की सफाई सुनिश्चित करनी है।

एलजी ने दिए क्या निर्देश
बैठक की शुरुआत में एलजी ने मुंडका नहर में दरार के कारण बाढ़, विशेष रूप से बवाना क्षेत्र की स्थिति का जायजा लिया। अधिकारियों ने एलजी को बताया कि उनके सभी निर्देशों का मौके पर पालन किया जा रहा है। बैठक में मौजूद डीजेबी के सीईओ ने बताया कि नहर की मरम्मत तेजी से की जा रही है और इसे शुक्रवार की शाम तक पूरा कर लिया जाएगा। एलजी ने संबंधित एजेंसियों, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, पीडब्ल्यूडी, एमसीडी, एनडीएमसी को नालों की व्यापक सफाई करने और तुरंत सभी अवरुद्ध नालों को साफ करने का निर्देश दिया। यह काम 15 जून तक पूरा हो जाना चाहिए था।

एलजी ने इन नालों के नियामकों के संचालन की जिम्मेदारी भी आई एंड एफसीडी को देने का निर्देश दिया। इसके लिए उन्होंने विभाग को अन्य विभागों व एजेंसियों से अतिरिक्त मैनपावर किराए पर लेने का भी निर्देश दिया। एलजी को सूचित किया गया कि एनडीआरएफ की 29 टीमों को 100 से अधिक नावों के साथ दिल्ली क्षेत्र में तैनात किया गया है, ताकि बाढ़ की स्थिति में राहत और बचाव कार्य किया जा सके।

बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय और निर्देश
➤नालों की तुरंत सफाई हो, कचरे/अतिक्रमण को हटाएं
➤संवेदनशील स्थानों पर स्थायी और अस्थायी पंप लगाएं, कंट्रोल रूम से चौबीसों घंटे निगरानी की जाए
➤सभी 22 प्रमुख नालों से निकाले गाद का तुरंत मूल्यांकन करें और सभी सड़क पुलों को तुरंत साफ करें
➤यमुना बाढ़ क्षेत्र से सभी मलबा, निर्माण सामग्री और भारी मशीनरी को साफ किया जाए
➤सिग्नेचर ब्रिज से निर्माण कचरे को तुरंत हटाया जाए
➤सभी रेगुलेटर्स और बैराज गेटों पर 24×7 ऑपरेटर, इंजीनियर और टेक्नीशियन तैनात रहेंगे
➤जब यमुना खतरे के निशान को पार करे, राजस्व विभाग और संबंधित जिलाधिकारियों द्वारा लगभग 25,000 लोगों को निचले इलाकों से निकालने के लिए उचित व्यवस्था हो
➤स्वास्थ्य विभाग बाढ़ और उसके बाद होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था करे
➤अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी केंद्रीय नियंत्रण कक्ष से चौबीसों घंटे की जाएगी

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