राहुल गाँधी के सियासत से जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी बौखलाहट में आ जाती है यह उसी का असर है दोस्तों क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने फैसला किया है आगे से 25 जून को संविधान हत्या दिवस के तौर पर मनाया जाएगा जैसे कि आप जानते हैं 25 जून वो काला दिन था जब 1975 में स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल लागू कर दिया था राहुल गांधी लगातार लोकसभा चुनाव में संविधान को बचाने की अपील कर रहे हैं ।और इसमें राहुल गांधी की कल्पना की उड़ान नहीं थी खुद भारतीय जनता पार्टी के नेता चाहे वह आनंद हेगड़े हों , राजस्थान की डिप्टी चीफ मिनिस्टर दिया कुमारी हों,अरुण गोविल हों तमाम बड़े नेता कह रहे थे हमें 400 सीटें दे दो ,हम संविधान को बदल देंगे। लगातार इस तरह की बातें भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की ओर से की जा रही थी। और तब राहुल गाँधी ने और बिपक्ष ने कहा कि आरक्षण भी खतरे में आ सकता है , भारतीय जनता पार्टी अब प्रतिक्रिया दे रही है । और ये राहुल गाँधी की जीत है जब आपकी राजनीति के चलते आपका विरोधी उस पर प्रतिक्रिया देने लगे तो यह साबित करता है कि बाजी कौन जीत रहा है ।आपको पता होगा कि जब राहुल गांधी चुनाव जीते थे तब सदन के अंदर हाथ में संविधान की कॉपी के साथ उन्होंने किस तरह से शपथ ली थी। भाजपा इसी से बौखला गई है और यही वजह है कि भाजपा ने फैसला किया है कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। Kya ye सही है कि एक सरकारी घोषणा में हत्या शब्द का इस्तेमाल हो रहा है । यह भी तो कह सकते थे कि संविधान बचाओ दिवस मगर आप ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं क्योंकि राहुल गांधी और विपक्ष लगातार संविधान बचाव की बात कर रहे है। भाजपा इस कदर बौखला गई है , इस तरह से प्रतिक्रियावादी हो गई है , इस तरह से रिएक्शन दे रही है कि वह संविधान बचाओ दिवस के बजाय संविधान हत्या दिवस मना रही है। क्योंकि अगर वह संविधान बचाओ दिवस मनाएगी तो इससे विपक्ष का नारा राहुल गांधी का नारा और बुलंद होगा । आपको बता दें कि देश के गृहमंत्री अमित शाह ने इसको लेकर ऐलान किया है। उनका ऐलान आपके स्क्रीन पर 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी में अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया था और मीडिया की आवाज को दबा दिया । भारत सरकार ने हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस के तौर पर मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों की विराट योगदान का स्मरण कराएगा जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था । आपको याद है कि किस तरह से लोकसभा के अंदर ओम बिरला मणिपुर का मुद्दा नहीं उठने देते हैं किस तरह से किसी रहस्यमय तरीके से विपक्ष के नेताओं के माइक ऑफ हो जाते हैं। क्या देश के गृह मंत्री को यह याद दिलाना चाहिए कि राज्यसभा के अंदर किस तरह का पक्षपात का आरोप जगदीप धनखड़ पर लगता है सबसे बड़ी बात तो यह थी कि कृषि कानून किस तरह से पारित हुए और किस तरह से उन्हें वापस लिया गया था । क्या देश के गृह मंत्री बताएंगे इतने से बात पर उस पत्रकार को आतंकवादियों का धारा लगाकर जेल में बंद कर देते हैं । न्यूज क्लिक पर रेट मारते हैं उनके संपादक को आप आतंकवाद की धाराओं में बंद कर देते हैं। भीमा कोरेगांव मामले में अब भी दर्जनों लोग जेल में बंद हैं यह कहा जा रहा है कि कई लोगों के लैपटॉप पर सबूत डाले गए प्लांट किए गए । उमर खालिद क्यों जेल में हैं हम नहीं जानते क्या? देश के गृहमंत्री किस तरह से हेमंत सोरेन को जेल में डाला गया । अरविंद केजरीवाल को जेल में डाला गया । तो क्या ऐसे में भाजपा के पास ही अधिकार रह जाता है कि वह आपातकाल की बात करें । यही सवाल विपक्ष उठा रहा है , अखिलेश यादव में भाजपा को आईना दिखाया मगर सबसे पहले कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने किस तरह से करारा प्रहार किया है। यही नही आर जे डी के सांसद मनोज झा ने अपने इस संदेश में एक वाजिद बात कही है वो आईना दिखा रहे हैं भाजपा सरकार को इसे विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बना दिया है। अखिलेश यादव ने लंबा चौड़ा बयान दिया है ,उसके कुछ अंश कुछ इस तरह हैं 30 जनवरी को बापू हत्या दिवस वह लोकतंत्र हत्या दिवस के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए, क्योंकि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव विधान की थी । कुछ सवाल हैं जो भाजपा बताएं कि मणिपुर में नारी के मान अपमान हत्या दिवस हाथरस की बेटी हत्या दिवस लखीमपुर में किस हत्या दिवस कानपुर देहात में मां बेटी हत्या दिवस तीन कल कृषि कानून से कृषि हत्या दिवस पेपर लीक करते हुए परीक्षा दिवस अग्निवीर से हुए सामान्य भारती हत्या दिवस बेरोजगारी से हुए युवा सपनों की हत्या दिवस बढ़ती महंगाई से हुए आम परिवारों के भविष्य के हत्या दिवस नोटबंदी व जीएसटी लागू करने से हुए व्यापार हत्या दिवस यश भारती जैसे पुरस्कार बंद करने से हुए हुनर सम्मान हत्या दिवस जनसंख्या में आनुपातिक प्रतिनिधित्व न देकर सामाजिक न्याय का हत्या दिवस सरकारी नौकरी के अवसर खत्म करके आरक्षण की हत्या दिवस पुरानी पेंशन की हत्या दिवस संदेह हॉस्पिटल हो गए एवं ना हटाकर बैलट पेपर हत्या दिवस जैसे भाजपा राज में आए अनेक काले दिनों के लिए कौन सी तिथि चुनी जाए ।आपने देखा दोस्तों तमाम मुद्दे किनारे और बता रहे हैं कि इन तमाम उद्योग में जो लोकतंत्र की हत्या हुई है इसके तारीख की घोषणा कब होगी । इसकी तिथि की घोषणा कब होगी। यह मुद्दे हैं जो विपक्ष उठा रहे हैं और सारे मुद्दे वाजिद हैं। बड़ी बात क्या है कि राहुल गांधी जिस तरह से संविधान का नारा बुलंद कर रहे थे उससे भाजपा बौखला गई । पूरी तरह से कोशिश कर रही है कि किसी भी कीमत पर नॉरेटिव को कंट्रोल किया जाए । राजनीतिक साम्राज्य चल रहा है उस पर काबू पाया जाए मगर हकीकत यह है कि संविधान और संवैधानिक मूल्यों को लेकर भाजपा के डीएनए में दिक्कत है और आपको बता दें कि कैसे ओम बिरल रस का इतिहास याद कीजिएगा । शशि थरूर ने जब संविधान को लेकर शपथ ली थी ,जय संविधान का नारा लगाया था तो देखिए ओम बिरला इसको लेकर क्या आपत्ति दर्ज करते हैं यह भी बहुत बड़ा मुद्दा बना था. यह संविधान की शपथ है लंबा चौड़ा बयान दिया है पूरा बयान तो बताना मुस्किल है पर उनकी कुछ मुख्य हिस्से हैं जिसे हम बताते हैं नरेंद्र मोदी जी पिछले 10 सालों में आपकी सरकार ने हर दिन संविधा हत्या दिवस ही मनाया है । आपने देश की हर गरीब वंचित टपके से हर पल उनके आत्म सम्मान छीना है और वह बाकायदा मिसाल दे रहे हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा नेता आदिवासियों पर पेशाब करता है। जब हर 15 मिनट में दलितों के खिलाफ बड़ा अपराध घटता है। जब अल्पसंख्यकों पर गैर कानूनी बुलडोजर चलाया जाता है। मणिपुर पिछले 13 महीना से हिंसा की चपेट में है और आप वहां कदम नहीं रखते हैं, आगे कहते हैं कि मोदी जी आपके मुंह से संविधान की बातें अच्छी नहीं लगती ।उस तरह से जिक्र कर रहे हैं जिस तरह से संविधान को लेकर बुनियादी आपत्ति जाहिर करता रहा है। दोस्तो बात यहीं नहीं रुकती , भाजपा आरएसएस जनसंघ ने संविधान को कभी नहीं माना। क्या यह सच नहीं है कि आरएसएस के मुख्य पात्र ऑर्गेनाइज में 30 नवंबर 1949 के अंक में संपादकीय में लिखा था और यह हकीकत है दोस्तों इसकी चर्चा भी होती रही है और क्या लिखा था कि भारत के इस नए संविधान की सबसे बुरी बात यह है कि इसमें भारतीय कुछ नहीं है और क्या यहां साफ तौर पर भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता यानी बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर के विरोध में और मनुस्मृति के समर्थन में नहीं खड़ी हुई क्या यह बात सही नहीं है की मनुस्मृति अब पढ़ने की कोशिश की जा रही है।इस के दौरान कौन कांग्रेस के सामने उस वक्त की सरकार के सामने गिड़गिड़ा रहा था। यह भी एक हकीकत है दोस्तों इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि 1975 आपातकाल आज से 50 साल पहले मगर 2 साल के लिए आपातकाल था कांग्रेस को आज भी उसका जवाब देना पड़ रहा है इसलिए भाजपा इस बात से कन्नी नहीं काट सकती कि पिछले 5-6 सालों में जिस तरह से लोकतांत्रिक मूल्यों को रौंदा जा रहा है बार-बार रौंदा जा रहा है आप भी इसकी जवाब दे । आने वाले कई सालों तक आपको इसी तरह से सवालों के जवाब देने होंगे जिस तरह से कांग्रेस को आज भी आपातकाल को लेकर सवालों के जवाब देने पड़ रहे हैं। आप इससे बच नहीं सकते क्योंकि आपको लगता है असली मुद्दों को भटक रहा है मगर इस वक्त को पिछले 5 6 7 साल को एक स्वर्णिम काल के तौर पर नहीं लिखा जाएगा जिस तरह से लोकतांत्रिक मूल्यों को रौंदा गया है।