बता दें कि जिले में लगभग 643 आंगनबाड़ी केन्द्र जर्जर अवस्था में है।इन आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति ऐसी है कि कभी भी दुर्घटना हो सकती है। पता चला है कि बड़वानी जिले के भी आंगनबाड़ी केंद्रों की मरम्मत के लिए राशि नहीं मिल रही है। दरअसल, 2013-14 में हुए घोटाले के कारण मध्य प्रदेश शासन राशि देने से कतरा रहा है। करीब 10 वर्ष पूर्व हुए घोटाले की वजह से आंगनवाड़ी केंद्रों की मरम्मत के लिए मध्य प्रदेश शासन राशि देने से कतरा रहा है। जिसके चलते जिले के सैकड़ों आंगनवाड़ी भवन जर्जर अवस्था में हैं और मरम्मत के लिए तरस रहे हैं। बड़वानी जिले में भी 1784 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिसमें करीब 2 लाख बच्चे लाभान्वित होते हैं। इनमें से 187 किराए पर हैं, 62 न शासकीय न किराए पर, 131 डिस्मेंटल करने लायक है और 150 काफी खराब स्थिति में हैं। 2013-14 में आंगनवाड़ी भवनों के रिपेयरिंग के लिए 4.56 करोड रुपए स्वीकृत हुए थे। हालांकि कागजों पर काम बता कर राशि का आहरण कर लिया गया था। विभिन्न स्तरों पर जांच में इसकी पुष्टि हुई थी ।आखिरकार इकॉनामिक ऑफेंस विंग ने 42 लोगों, जिसमें पीडब्ल्यूडी और आरईएस के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, असिस्टेंट इंजीनियर, सब इंजीनियर, क्लर्क और ठेकेदार शामिल थे, जिनके विरुद्ध मामला दर्ज हुआ था।इस घटनाक्रम का बड़ा नुकसान यह हुआ कि इसके बाद जिले की आंगनवाड़ियों में मरम्मत के लिए राशि आवंटित नहीं की गयी। जिला कलेक्टर ने जून 2024 में 2021-22 और 2022-23 की अति वर्षा का हवाला देते हुए पूरे बड़वानी जिले की 643 क्षतिग्रस्त आंगनवाड़ियों की मरम्मत के लिए एस्टीमेट मंगाया था। इसके लिए उन्होंने एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (RES) और जिले के समस्त चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर जनपद पंचायत को पत्र भी लिखा था। इन 643 आंगनवाड़ियों के जर्जर होने, छत से पानी टपकने और दीवारों में दरार आने की बात बताई गई थी।प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री तथा राजपुर से कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने 10 वर्ष में किसी भी आंगनवाड़ी भवन के लिए मरम्मत के लिए राशि नहीं आने पर आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इन जर्जर भवनों में किसी भी दिन बड़ी दुर्घटना घट सकती है। उन्होंने बताया कि जिले में इसके अलावा 9000 अधूरे भवन भी हैं। डिस्ट्रिक्ट प्रोगाम ऑफीसर आरएस गुंडिया ने बताया 2013-14 से मरम्मत के लिए कोई राशि नहीं आ रही है। कई बार विभाग को लिखा जा चुका है। यहां तक कि विभाग के जिले में स्थित अधिकांश प्रोजेक्ट ऑफिस भी डिस्मेंटल करने की स्थिति में है। उन्होंने बताया कि कई स्थानों से एस्टीमेट आ चुके हैं, इन्हें शीघ्र ही अथॉरिटीज को भेजा जाएगा। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अंतर सिंह आर्य ने कहा कि वे शीघ्र ही इस मामले में सकारात्मक चर्चा कर समस्या का हल निकालेंगे।